Monday, July 21, 2014

ये कँहा आ गए हम -2 ………


ओह ! ये तो सचमुच ख़राब हो गया। 
क्या बाबाजी बोला था ना आज ख़राब नहीं करना। 
सच आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। खैर  
हो गया जो हो गया अब इसे ठीक भी तो करो। 
" आंटी जी क्या करूँ "
ऑटो वाला राजू सर खुजला रहा था मेरे सामने खड़ा होकर 
मैंने बोला देख लो एक बार तुम इंजन खोल कर 
राजू दस मिनट तक लगा रहा 
कभी कोई औजार निकाल कर ले जाता
कभी कोई। 
 उसकी रेगुलर सवारी "मैडम " को लेकर नोएडा ही आये हुए  ऑटो वाले को वो 
मेरे फ़ोन से ही फ़ोन कर रहा था बार बार 
कि वो "मैडम " को छोड़ने के बाद यंहा आ जाये और हमे ग्रेटर नोएडा लेकर जाये 
पर नेटवर्क उसे बात ही पूरी नहीं करने देता था।  
आंटी जी " मैडम का नंबर मिला दो  उनके फ़ोन पर बात करता हूँ इस से 
आखिर बात हो गयी और तय हो गया कि दूसरा ऑटो वाला हमे लेकर जायेगा 
हुम्म  …… कब आएगा कब जायेगा  ............. 
  
मेरा बिलकुल मन नहीं हो रहा था राजू से  ये पूछने का कि ठीक होगा की नहीं 
मैं जाने क्यों ऐसे चुप बैठ गयी थी चांदनी बीच बीच मे पूछ लेती थी "ममा कब जायेंगे स्कूल ?"
मैं चुप क्यूँ हूँ ऑटो वाले पर गुस्सा क्यों नही  कर रही थी?


                                                      
मैं कुछ सोच रही थी फिर वो ही सोच  …… 
मैं विजुएलाइस कर रही थी की देरी से पहुंचे तो चाँदनी कितने  टाइम की क्लास कर पायेगी और कितना 
टाइम बर्थडे सेलिब्रेट करने को मिलेगा।  
न जाऊँ क्या आज ?
वापस चल लूँ?
किसी मॉल में जाकर चांदनी के लिए ड्रेस ले लूँ?
कंही बस आना जाना ही न हो जाये ?
गर्रर्र हुन्न्न 
स्टार्ट हो गया 
आंटी जी स्टार्ट हो गया 
आह क्या बात है इतनी ख़ुशी की क्या बताऊँ 
तो चल राजू जल्दी कर 
आंटी जी पर वो ऑटो वाला आएगा 
उसे फ़ोन कर देना राजू चल 
राजू ने ऑटो को रफ़्तार दी 
और हम संभल कर बैठ गए 
अब तो मै आंटी जी आधे घंटे में पहुंचा दूंगा 
साढ़े दस बज रहे थे 
हम अब ग्रेटर नोएडा की खुली खुली सड़क पर थे
चांदनी के स्कूल में फ़ोन किया तो मैम बोली 
आप आ जाइए हम लोग चांदनी का वेट कर रहे है 
उसका बर्थडे सेलिब्रेट करने के लिए 
मेरी चाँदनी का वेट हो रहा है 
सुन कर हवा ठंडी तो नहीं थी पर ठंडी लगी कैसी 
ख़ुशी हुई नहीं मालूम सो बता भी नहीं सकती। 
स्कूल पहुँच कर चाँदनी का बर्थडे खूब धूम से सेलेब्रेट किया उसके स्कूल वालो ने 
सच कितने अच्छे लोग हैं।
                                           

                     
राजू का ऑटो स्कूल जाने के बाद बंद होने के बाद फिर स्टार्ट नहीं हुआ। 
वापसी से जरा देर पहले जब किन्ही दूसरे पेरेंट्स की गाड़ी में थोड़ी दूर तक लिफ्ट की बात सोचने लगी
तो ऑटो स्टार्ट हो गया। 
हम राजू और ऑटो फिर से 
उसी खुली खुली सड़क पर थे 
चांदनी सो गयी थी 
मैंने हैडफ़ोन लगा लिए थे मोबाइल से सांग्स सुनने का प्रोग्राम था। 
 राजू का एक और काम साथ साथ चल रहा था रास्ते में वो जगह जगह पानी, निम्बू पानी 
पीने और कुछ  खाने के लिए तीन बार ऑटो रोक चुका था। 
पर ऑटो को बंद नहीं करता ऑटो में बैठे बैठे ही दुकानदार को ऑटो बंद हो जाने की दुहाई देता और सामान मंगवाता। 
कितना खाऊ पीर है ये 
राजू अब चल, घर जाकर खाना खाना 
हाँ आंटी जी खाना तो घर ही खाऊंगा 
तो ये क्या खाने से पहले का धोखा भर है पेट को ?
अल्लाह !!
दो बॉटल्स नीम्बू पानी की भरवा कर राजू का ऑटो चल पड़ा 
साईं मंदिर  … 
अओह कितनी भीड़ इस दुपहरी में भी 
राजू भंडारा लगा है 
हाँ आंटी जी 
तू खायेगा ?
न आंटी जी मै नहीं खाता ऐसे 
मैंने सोचा मै तो पहले कितनी शर्म मानती थी में पंगत मे बैठ कर खाने से  एक सहेली  ने सिखाया 
कि कितना मज़ा आता है भंडारे में जीमने में फिर तो हमने साथ खूब भंडारे खाए, पर भंडारे का खाना बेहद स्वादिष्ट होता है आलू पूरी और कद्दू की सब्जी बूंदी का रायता और हलवा आह।  सामने गरमा गरम करारी पूरी उतर रही थी। 
खाना तो अच्छा है राजू  
आप खाओगी आंटी जी रोकूँ?
ना रहने दे चल तू 
और नहीं तो क्या कितनी कैलोरीज़ होंगी इस खाने में। 
इस सड़क के दोनों और फ्लैट ही फ्लैटस बन रहे है बहुत सारे ग्रुप्स लोगो को घर देने का दावा किये हुए हैं 
इस जंगल में घर दे भी दिया तो क्या ?
पर ऐसा नहीं है ,लोगो के रहने आने से पहले यंहा प्रेस वाला, गाड़ी साफ़ करने वाला, ऑटो स्टैंड, किराने  की दुकाने फिर स्टोर्स सब आ चुके होंगे। पहले शहरों में लोग बसते थे, अब पहले  शहर बसते हैँ। 
कितना नकली है न  ....  सोचते हुए अंदाजे से मैंने मोबाइल में गाने लगाने की कोशिश की ऑटो मॉड  पर सांग्स लगा दिए 
हुनं  … मुझे छू रही हैं तेरी गरम साँसे,मेरे रात और दिन बहकने लगे हैं 
हा हा हा गरम साँसे नहीं गरम आँधी  चल रही है यँहा जो की आस पास हो रहे कंस्ट्रक्शन की मिट्टी भी अपने साथ ला रही हैं ,आप भी क्या बात करती हैं मौसमी जी।
                                         
ये सड़कें खूब चौड़ी हैं, बीच मैं डिवाइडर पर भी पेड़ लगे हैं तीन लेन की सड़क है एक तरफ की।  
तीस मीटर की तो होती होगी एक लेन। यानि नब्बे मीटर की तो रोड हो गयी और रोड की साइड में दस मीटर की हरित पट्टी और फिर सर्विस लेन कम से कम दस मीटर की यानि एक सो दस मीटर एक तरफ का और दोनों तरफ मिलाये तो दो सो बीस मीटर इसमें कम से कम तीन मीटर का डिवाइडर भी होगा  यानि दो सो तेईस मीटर काफी खुला है एरिया दोनों तरफ की सोसाइटिस के बीच और पूरे डिवाइडर और हरित पट्टी पर पीपल नीम के पेड़ और बोगन बेलिया लग चुके हैं।
आज से पांच साल बाद ये बड़े हो चुके होंगे यानी आज से पांच साल बाद ये रोड छायादार पेड़ो से ढकी और साथ में बोगन बेलिया की रंगीन लताये फ़ैली होंगी।  सोच कर ही सुकून आ गया। दूसरा सांग शुरू हो चुका है। …  ....... मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का ,कैसी ख़ुशी लेके आया चाँद ईद का। 
 सोच फिर करवट ले रही है इतनी दूर आना क्या सही है ?
ये सब सोचने का ये वक़्त क्या है ?
तुम ये सब सोच कर ही तो इस फैसले पर पहुंची थी। 
हाँ पर आस पास ही कोई स्कूल  ……। 
इच्छाओ का कोई अंत नहीं 
देखे तो थे आस पास के स्कूल कोई हुआ था तैयार एडमिशन देने को चांदनी को ?
और जो मज़बूरी मे कह भी रहे थे वो पहले ही सब हाँ भरवाना चाहते थे कि बस स्कूल में आने देने के अलावा वो चांदनी को कुछ नहीं दे पाएंगे। .... 
पर  ...................... ओ कम आन पारुल …। 
फिर सोचने लगी तुम 
नेक्स्ट सांग 
.... मुझे प्यार की जिंदगी देने वाले कभी गम न देना ख़ुशी देने वाले 
आई ऍम सॉरी मीना  कुमारी जी ऐसा नहीं होता प्यार देना वाला ही ख़ुशी भी देता है और गम भी इतने फालतू लोग नहीं है भगवन के पास की कुछ को आपको सिर्फ ख़ुशी देने को अपॉइंट करे और कुछ को ग़म।  काश आप अपनी निजी जिंदगी में ये बात समझ जाती तो कितनी खुश रहती।

हवा इतनी गरम और तीखी है और ये दुपट्टा ठहर  ही नहीं रहा फेस पर दोनों तरफ से फेस के दुपट्टा लाकर मैंने हल्का सा दांतो में अटका लिया अब बता कंहा जायेगा  बच्चू ?  यू ट्यूब पर "हाउ टू वियर हिज़ाब" वाले वीडियो हैं उन्ही सी सीखना पड़ेगा। 
अब सांग  ............. न जाने क्या हुआ जो तूने छू लिया 
हुन्न अब एन वर्ड वाले सांग्स शुरू हो गए

हेमा मालिनी कितनी खूबसूरत है ना बस ये पहले की मूवीज में पर इतने विग्स क्यों पहनती थी एक्ट्रेसेस
मुझे बिलकुल अच्छे नहीं लगते कम  से कम ऐसे विग्स जो माथे पर साफ़ दिखते हैं।

राजू फिर अपने घर की कोई बात बताने लगा ओह मैंने हूँन हूँन  करना शुरू कर दिया मुस्किल से तो ईयर फ़ोन  एडजस्ट किये हुए हैं मुझे नहीं सुनना इसे।
अगला गाना  …ना झटको जुल्फ से पानी ये मोती फूट जायेंगे …………
अब याद नहीं आ रहा क्या सोचती रही इतनी देर
अगला गाना शुरू हो चुका था

न तो कारवां की तलाश है न तो हमसफ़र की तलाश है
मेरे शोंके खाना ख़राब को तेरी रहगुजर की तलाश है
"बरसात की एक रात" की ये दोनों कव्वालियां एक ये और एक "ये है इश्क़ इश्क़ इश्क़ इश्क़ " दोनों हिंदी फिल्म संगीत की नायब देन हैं जिन्हे संगीत की समझ है, कौन होगा जिन्हें यें पसंद ना होंगी  ....
हुन्न तेरा इश्क़ मे कैसे छोड़ दूँ मेरी उम्र भर की तलाश है  …जो इश्क़ उम्र भर की तलाश हो क्या किसी भी ,किसी भी कारण से वो इश्क़ छोड़ा जा सकता है ? क्या इश्क़ किया जाता है या हो जाता है या शिद्दतपसंद लोगो की आदत भर है ये। जिन्हे इश्क़ की आदत होती है वो बस आदत से मजबूर जगहों से , लोगो से ,सामानों से इश्क़ करते ही रहते हैं। क्या ये इश्क़ है ? मेरा रोज इतनी दूर चल कर आना ? नहीं  .... बेवक़ूफ़ी है

क्यूँ ? क्यूँ क्या ? कंही घर के आस पास  …बच्चे माँ बाप से पढ़ते हैं स्कूलों से नहीं ,पर स्कूल भी जरुरी है
माहोल मिलता है दूसरे लोग मिलते हैं हर वक़्त माँ साथ रहती है उसका तो एडवांटेज लेते हैं बच्चे।

कितनी कुव्वत  रखता है संगीत भी हमारे फैसलों को चैलेंज करने की और उन्हें दिशा देने की भी।

नया गाना  ………… नादान परिंदे घर आ जा, क्यूँ देश बिदेश फिरे मारा ,हाल  बेहाल थका हारा  ....
सही ही तो है ये नादानी कब तक चाँदनी भी थक जाती है,  कल से नहीं आऊँगी ,कुछ और देखूँगी।घर भी आने वाला था मन बहुत उदास हो चुका  था तभी बहुत जोर जोर से ढोलक बजने की आवाजे आई एक  दम लक्ष्मीकांत  प्यारेलाल के संगीत वाली ढ़ोलक  साथ में पानी के छलकने की आवाजें कि जैसे कोई पतवार खे रहा हो नदी में।  कँहा से आ रही है आवाजें ?
कंहा से आएँगी  मोहतरमा आपके कानो से आ रही हैं
नया गाना शुरू हो चुका है
आह मेरा बहुत बहुत पसंद का ये कोरस हो हो होअ हो होअ  हो  हो हो

नदिया चले चले रे धारा ,तुझको चलना होगा ,तुझको चलना होगा
                                                   
   

आह दिल में चलने लगी वो सारी  पानी की लहरे जिनके किनारे राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर जी बैठे हैं  ....
मैं क्यूँ न जाऊँ कल क्यूँ करूँ और स्कूल्स की शॉपिंग ?
क्या एक बार सोचा नहीं था तूने खूब ?
हाँ सोचा था न सोच कर ही तो फैसला लिया था।  तो अब ? अब रुकने की सोची भी क्यूँ?
गाना  ....... जीवन कंही भी ठहरता नहीं है आंधी से तूफां से डरता नहीं है
                 तू न चलेगा तो चल देंगी राहें मंजिल को तरसेंगी तेरी निगाहें
                 तुझको चलना होगा ,तुझको चलना होगा
तो मुझे ही क्या ड़र आंधी चाहें गरम हवा की हो या ठंडी की इससे पहले की राहें चल दे चलना ही होगा
चाँदनी के लिए जो सबसे सही है वो ही हो रहा है उसकी जरुरत अभी ये ही है
मेरे साथ कुछ भी गलत बाबाजी और चाँदनी के साथ कुछ भी गलत उसकी माँ कर ही नहीं सकती।कोई भी माँ नहीं कर सकती।
  पार  हुआ वो रहा जो सफर में ,जो भी रुका घिर गया वो भंवर में
  नाव तो क्या बह जाये किनारा बड़ी ही तेज़ समय की है धारा
घर आ गया
आंटी जी कल भी चलना है ?
हां राजू कल आ जाना
तुझको चलना होगा  ,तुझको चलना होगा .............

                                                          पारुल सिंह



3 comments:

  1. Simply Superb....Keep writing and explore your hidden talent...

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  2. मैं क्या कहूँ नादान परिंदे भी है ओर नदिया चले भी है हमेशा आपको पढ़कर ऊर्जा मिलती है....... अद्भुत

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