Monday, December 31, 2012

इस  स्याह  रात मैं 
इन बेकस   हालात  मैं 
आज  फिर तेरी याद चली आई है ..............

यूँ तो तेरी याद कभी अकेले नहीं आती 

ये अपने साथ  तेरी बाते ,वो अफसाने 
मेरी  चुप्पी  ,तेरे अहसास , क्या -क्या नहीं लाती 
पर  आज .....

आज  अपनी याद के साथ तुम खुद चले आये जैसे 

इस  हवा  के साथ  तुम्हे  महसूस  किया जैसे 
मेरी  झुकी  पलकों  पर  गिर आई  अलके  तुमने  संवारी जैसे 
और  मेरे कान मैं धीरे से  कुछ  कहा  तुमने 
 घबराने  पर  मेरे, हाथ पर  अपना हाथ रख दिया तुमने 

तुम  आये ही नहीं थे  मगर 

मेरी अल्को मैं तुम्हारी उंगलिया है अभी 
तुम आये ही नहीं थे  मगर 
मेरे कानो  मैं  तुम्हारी आवाज़े  हैं  अभी 
तुम आये ही नहीं थे मगर  
मेरे हाथ पर तुम्हारे हाथ की  छुअन है अभी .....
हाँ .. तुम नहीं आये थे  पर  ये आज तुम किस क़दर आये .....


इस  स्याह  रात मैं 
इन बेकस   हालात  मैं 
आज  फिर तेरी याद चली आई है ..............!



5 comments:

  1. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.

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  2. first time aap ka blog padha - kafi acha hai .

    likhte rahiye

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  3. सही कहा आपने .सुन्दर सामायिक रचना
    कभी इधर का भी रुख करें
    सादर मदन

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