इस स्याह रात मैं
इन बेकस हालात मैं
आज फिर तेरी याद चली आई है ..............
यूँ तो तेरी याद कभी अकेले नहीं आती
ये अपने साथ तेरी बाते ,वो अफसाने
मेरी चुप्पी ,तेरे अहसास , क्या -क्या नहीं लाती
पर आज .....
आज अपनी याद के साथ तुम खुद चले आये जैसे
इस हवा के साथ तुम्हे महसूस किया जैसे
मेरी झुकी पलकों पर गिर आई अलके तुमने संवारी जैसे
और मेरे कान मैं धीरे से कुछ कहा तुमने
घबराने पर मेरे, हाथ पर अपना हाथ रख दिया तुमने
तुम आये ही नहीं थे मगर
मेरी अल्को मैं तुम्हारी उंगलिया है अभी
तुम आये ही नहीं थे मगर
मेरे कानो मैं तुम्हारी आवाज़े हैं अभी
तुम आये ही नहीं थे मगर
मेरे हाथ पर तुम्हारे हाथ की छुअन है अभी .....
हाँ .. तुम नहीं आये थे पर ये आज तुम किस क़दर आये .....
इस स्याह रात मैं
इन बेकस हालात मैं
आज फिर तेरी याद चली आई है ..............!
इन बेकस हालात मैं
आज फिर तेरी याद चली आई है ..............
यूँ तो तेरी याद कभी अकेले नहीं आती
ये अपने साथ तेरी बाते ,वो अफसाने
मेरी चुप्पी ,तेरे अहसास , क्या -क्या नहीं लाती
पर आज .....
आज अपनी याद के साथ तुम खुद चले आये जैसे
इस हवा के साथ तुम्हे महसूस किया जैसे
मेरी झुकी पलकों पर गिर आई अलके तुमने संवारी जैसे
और मेरे कान मैं धीरे से कुछ कहा तुमने
घबराने पर मेरे, हाथ पर अपना हाथ रख दिया तुमने
तुम आये ही नहीं थे मगर
मेरी अल्को मैं तुम्हारी उंगलिया है अभी
तुम आये ही नहीं थे मगर
मेरे कानो मैं तुम्हारी आवाज़े हैं अभी
तुम आये ही नहीं थे मगर
मेरे हाथ पर तुम्हारे हाथ की छुअन है अभी .....
हाँ .. तुम नहीं आये थे पर ये आज तुम किस क़दर आये .....
इस स्याह रात मैं
इन बेकस हालात मैं
आज फिर तेरी याद चली आई है ..............!
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeleteमंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
bhawbhini......
ReplyDeleteअच्छी रचना...
ReplyDeletefirst time aap ka blog padha - kafi acha hai .
ReplyDeletelikhte rahiye
सही कहा आपने .सुन्दर सामायिक रचना
ReplyDeleteकभी इधर का भी रुख करें
सादर मदन