Monday, December 22, 2014
इतना आसान भी नहीं होता
इतना
आसान
भी
नहीं
होता
टूट
कर
जुड़
जाना
बिखर
कर
सिमट
जाना
उजड़
के
बस
जाना
इसके
लिए
चाहिए
एक
लम्बी
उम्र
और
इतनी
उम्र
अब
बची
कहाँ
?
पारुल सिंह
1 comment:
जमशेद आज़मी
Thursday, October 15, 2015 10:04:00 PM
बहुत खूब। अच्छी रचना की प्रस्तुति।
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूब। अच्छी रचना की प्रस्तुति।
ReplyDelete