Tuesday, June 12, 2012


जिंदगी   फिर  आज  पास  से  गुजर  गई  दोस्त
तन्हा  हूँ  मै  हकीकत  सामने  आ गई दोस्त
मेरी  बांहों  मैं  तडफी    वो  नन्ही  सी  जान
कज़ा  मेरे  जीने  का  सबब बता  गई  दोस्त ...
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वो  आजकल  बहुत झुंझलाए  हुए  है
समझते  क्यूँ नहीं  दिल  अपना  गंवाए  हुए  है
गुस्सा  उनका  खुद्बाखुद जाहिर  कर   
रहा   है
 जैसे प्यार  हो  गया  हो  और  छुपाए हुए  है 

2 comments:

  1. सबसे पहले तो हिंदी में पोस्ट करने की बधाई स्वीकारें.

    "गुस्सा उनका खुद्बाखुद जाहिर कर देता है
    जैसे प्यार हो गया हो और छुपाए हुए है"
    बहुत खूब...इन पंक्तियों में बहुत ख़ूबसूरती है...इसके लिए अलग से बधाई...:-))

    नीरज

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  2. नीरज जी हिंदी मैं प्रकाशित करना आपके सहयोग से संभव हो पाया है आपका धन्यवाद..

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