Thursday, August 24, 2017

प्लेसिबो इफेक्ट

Placebo effect:
Placebo effect मूलतः एक प्रकार की झूठी दवाई से ईलाज करना है। मान लें कि एक मरीज को डॉक्टर कुछ शुगर टेब्लेटस दे दें ये कह कर कि इस से उसका बुखार उतर जाएगा,या कोई और बीमारी हो तो वो ठीक हो जाएगी। और उस दवाई को असली दवाई मान कर मरीज ले ले और वह ठीक हो जाता है। इसे प्लेसिबो ईफेक्ट कहते हैं।
प्लेसिबो इफेक्ट जाने या अनजाने रूप से किसी भी स्थिति को सच मान लेने से उसका सच में सच हो जाना है।
रिसर्चस से पता चला है कि कई बार कुछ अॉपरेशनस,सर्ज़री में भी प्लेसिबो ईफेक्ट के पॉजिटिव रिज्लटस मिले हैं। जैसे किसे व्यक्ति को केवल चीरा दे कर टांके लगा दिये जाएं और उसे कह दें कि आपके अमुक अंग की सर्जरी कर दी गई है। व मरीज को उस सर्जरी से वो ही रिजल्ट मिल जाते हैं जो उसे असली सर्जरी से मिलने वाले थे।
बेसिक्ली ये व्यक्ति के दिमाग व शरीर के सम्बन्ध पर निर्भर है। ये मुख्यतः निम्न रोगों में कारगार है।
दर्द
डिप्रेशन
अनिद्रा
एनजाइटी
कईं बार मरीज को पता होते हुए भी ये प्लेसिबो पद्धति कार्य करती है। यह मुख्यतः उम्मीद पर निर्भर है जिस व्यक्ति को आसानी से उम्मीद व विश्वास करने की आदत हो उन पर ही यह ज्यादा कारगार होती है।
मेडिसिन प्रैक्टिस में इसे मान्यता नही है,क्योंकि मानना है कि यह डॉक्टर व मरीज के विश्वासी सम्बन्ध के लिए सही नही है।
कईं बार प्लेसिबो के कार्य करने का एक पहलू यह भी है कि जिस दवाई के स्थान पर यह दी जाती है उससे होने वाले साइड इफेक्टस भी मरीज मे पाए जाते हैं।
प्लेसिबो की तरह ही नोसिबो प्रभाव भी होता है।
प्लेसिबो व नोसिबो इफेक्टस को अब सेल्फ हेल्प व सॉइक्लजी में भी प्रयोग किया जाने लगा है।
जैसे यदि हम मान लें व महसूस करने लगे कि कोई कार्य विशेष हम कर सकते हैं तो अपनी फिजिक्ल लिमिटेशंस के होते हुए भी हम वो कार्य कर पाते हैं।
मरीज स्वयं यह विचार करे कि वो ठीक हो रहा है तो वो ठीक हो जाता है।
अपनी ज़िन्दगी में भी अगर हम ये मान लें कि चाहे जो हो मैं तो खुश रहूंगा परेशानियां मुझे परेशान नही कर सकती तो ऐसा ही होने लगता है धीरे धीरे।
पारूल

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